2025 के उत्तर प्रदेश बिल्डिंग उप-नियमों में मुख्य परिवर्तन
उत्तर प्रदेश भवन उप-नियम 2025: मुख्य बदलाव
उत्तर प्रदेश सरकार 2025 में नए भवन उप-नियम लागू कर रही है ताकि निर्माण प्रक्रियाओं को आसान बनाया जा सके और शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिले। इन बदलावों का लक्ष्य निर्माण प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाना, निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और उत्तर प्रदेश में शहरी विकास को सुविधाजनक बनाना है।
यहाँ कुछ मुख्य बदलाव दिए गए हैं:
* सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रिया: 5,000 वर्ग फुट तक के आवासीय भूखंडों और 2,000 वर्ग फुट तक के व्यावसायिक भूखंडों के लिए, औपचारिक अनुमोदित मानचित्र के बजाय अब एक आर्किटेक्ट का प्रमाण पत्र पर्याप्त होगा।
* मानित एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) अनुमोदन: एक मानित एनओसी प्रणाली शुरू की जा रही है, जिसके तहत यदि संबंधित विभाग 30 दिनों के भीतर अतिरिक्त विवरण नहीं मांगता या आवेदन खारिज नहीं करता है, तो एनओसी को स्वीकृत मान लिया जाएगा।
* एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) में ढील: एफएआर प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है, खासकर 45 मीटर और उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर, ताकि ऊर्ध्वाधर विकास और भूमि का अधिकतम उपयोग हो सके।
* हरित भवनों पर जोर: नए उप-नियमों में हरित भवन डिज़ाइनों, ऊर्जा दक्षता और आपदा-प्रतिरोधी संरचनाओं को प्राथमिकता दी गई है।
* किफायती आवास को समर्थन: नियमों में किफायती आवास और झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास के लिए भी प्रावधान शामिल हैं।
* छोटे व्यवसायों के लिए छूट: 24 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर आवासीय भवनों से छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
* कम हुए सेटबैक: कुछ मामलों में सेटबैक आवश्यकताओं (भवन को सड़क से कितनी दूरी पर होना चाहिए) को कम किया गया है ताकि उपलब्ध भूमि पर अधिक निर्माण हो सके।
* बढ़ी हुई ऊंचाई सीमा: ऊंचाई प्रतिबंधों में ढील दी गई है, खासकर चौड़ी सड़कों पर, ताकि ऊर्ध्वाधर विकास में सुविधा हो, हालांकि हवाई अड्डों या ऐतिहासिक स्थलों के पास जैसे विशिष्ट वैधानिक प्रतिबंध वाले क्षेत्रों में यह लागू नहीं होगा।
* उद्योग संवर्धन: नए उप-नियमों में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, जिसमें कृषि भूमि भी शामिल है, नए उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए रियायतें भी शामिल हैं।
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